यूँही उदास है दिल बे-क़रार थोड़ी है
मुझे किसी का कोई इंतिज़ार थोड़ी है
नज़र मिला के भी तुम से गिला करूँ कैसे
तुम्हारे दिल पे मिरा इख़्तियार थोड़ी है
मुझे भी नींद न आए उसे भी चैन न हो
हमारे बीच भला इतना प्यार थोड़ी है
ख़िज़ाँ ही ढूँढती रहती है दर-ब-दर मुझ को
मिरी तलाश में पागल बहार थोड़ी है
न जाने कौन यहाँ साँप बन के डस जाए
यहाँ किसी का कोई ए'तिबार थोड़ी है
ग़ज़ल
यूँही उदास है दिल बे-क़रार थोड़ी है
जतिन्दर परवाज़