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यूँ तो वो दर्द-आश्ना भी हैं | शाही शायरी
yun to wo dard-ashna bhi hain

ग़ज़ल

यूँ तो वो दर्द-आश्ना भी हैं

सय्यद नवाब हैदर नक़वी राही

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यूँ तो वो दर्द-आश्ना भी हैं
पास रहते हुए जुदा भी हैं

जश्न-ए-आज़ादगी बपा कीजे
कासा-बरदार रहनुमा भी हैं

है सफ़ीना असीर-ए-मौज-ए-बला
यूँ तो कहने को नाख़ुदा भी हैं

यार-ए-बे-मेहर से गिला भी है
उस से मसरूफ़-ए-इल्तिजा भी हैं

ज़िंदगी पर है इख़्तियार उन का
बंदगान-ए-ख़ुदा ख़ुदा भी हैं

उस के दुख-दर्द में शरीक रहे
दिल-ज़दा दिल का आसरा भी हैं