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ये तेरे मिरे हाथ | शाही शायरी
ye tere mere hath

ग़ज़ल

ये तेरे मिरे हाथ

नज़ीर क़ैसर

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ये तेरे मिरे हाथ
ख़ुशबू से बंधे हाथ

कुछ भी न कहा उस ने
और चूम लिए हाथ

वो छत से दिखाती है
मेहंदी से रंगे हाथ

हम दूर निकल आए
हाथों में लिए हाथ

रौशन हुए मिट्टी में
मिट्टी से भरे हाथ

बुझती हुई शम्ओं पर
मेहराब हुए हाथ