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ये सच है दुनिया बहुत हसीं है | शाही शायरी
ye sach hai duniya bahut hasin hai

ग़ज़ल

ये सच है दुनिया बहुत हसीं है

शारिक़ कैफ़ी

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ये सच है दुनिया बहुत हसीं है
मगर मिरी उम्र की नहीं है

तिरी जगह कौन ले सकेगा
तू मेरा पहला तमाश-बीं है

मुझी पे है सोचने का ज़िम्मा
उसे तो हर बात का यक़ीं है

बुझा ही रहता है दिल हमारा
न जाने किस धूप का नगीं है

है मुझ पे इल्ज़ाम-ए-ख़ुद-सताइश
और इस में कुछ झूट भी नहीं है

न रख बहुत होश की तवक़्क़ो'
कि ये मिरा इश्क़-ए-अव्वलीं है

अजब है अंदाज़-ए-बंदगी भी
कि हम कहीं और सफ़ कहीं है