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ये पड़ाव आज हो आख़िरी क्या ख़बर | शाही शायरी
ye paDaw aaj ho aaKHiri kya KHabar

ग़ज़ल

ये पड़ाव आज हो आख़िरी क्या ख़बर

शफ़क़ सुपुरी

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ये पड़ाव आज हो आख़िरी क्या ख़बर
रन पड़े आज की रात ही क्या ख़बर

आज कोई तनाबें गया काट कर
कल कोई मारे शब-ख़ून भी क्या ख़बर

हम तो रख़्त-ए-सफ़र बाँध के ही रहे
क़ाफ़िला चल पड़ा किस गली क्या ख़बर

आ रहे हैं ज़रा देर तू ठहर जा
ये सदा थी मिरे शहर की क्या ख़बर

किस कमीं-गाह में छुप गया है अदू
किस तरफ़ से करे वार भी क्या ख़बर