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ये महशर-ए-सोज़-ओ-साज़ क्या है | शाही शायरी
ye mahshar-e-soz-o-saz kya hai

ग़ज़ल

ये महशर-ए-सोज़-ओ-साज़ क्या है

शहाब जाफ़री

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ये महशर-ए-सोज़-ओ-साज़ क्या है
आख़िर मिरा इम्तियाज़ क्या है

दिल महव-ए-सदा-ए-दर्द क्यूँ है
ये अर्ज़-ए-हुनर-गुदाज़ क्या है

मफ़्हूम-ए-नवा-ए-राज़ क्या था
आवाज़-ए-शिकस्त-ए-साज़ क्या है

डरता हूँ कि अपना ग़म न हो जाए
अपने से ये एहतिराज़ क्या है

पा कर भी तुझे मैं सोचता हूँ
मिटने का मिरे जवाज़ क्या है

अब तू जो मिला तो मैं नहीं हूँ
मुझ से तिरा इम्तियाज़ क्या है

किस किस को भुला चुका हूँ ऐ ग़म
ये बे-दिली-ए-नियाज़ क्या है

अक्सर तो तिरा बुरा भी चाहा
क्या जानिए ख़ुद पे नाज़ क्या है