ये लोग करते हैं मंसूब जो बयाँ तुझ से
समझते हैं मुझे कर देंगे बद-गुमाँ तुझ से
जहाँ जहाँ मुझे तेरी अना बचाना थी
शिकस्त खाई है मैं ने वहाँ वहाँ तुझ से
मिरे शजर मुझे बाज़ू हिला के रुख़्सत कर
कहाँ मिलेंगे भला मुझ को मेहरबाँ तुझ से
ख़ुदा करे कि हो ताबीर ख़्वाब की अच्छी
मिला हूँ रात मैं फूलों के दरमियाँ तुझ से
जुदाइयों का सबब सिर्फ़ एक था 'तैमूर'
तवक़्क़ुआत ज़ियादा थीं जान-ए-जाँ तुझ से

ग़ज़ल
ये लोग करते हैं मंसूब जो बयाँ तुझ से
तैमूर हसन