ये कर्बला है नज़्र-ए-बला हम हुए कि तुम
नामूस-ए-क़ाफ़िला पे फ़िदा हम हुए कि तुम
क्यूँ दजला-ओ-फ़ुरात के दा'वे कि नहर पर
तिश्ना-दहन शहीद-ए-जफ़ा हम हुए कि तुम
माना कि सब अजल के मुक़ाबिल थे सर-ब-कफ़
लेकिन शिकार-ए-तीर-ए-क़ज़ा हम हुए कि तुम
तुम भी फ़रेब-ख़ुर्दा सही पर ब-सद-ख़ुलूस
मक़्तूल-ए-मक्र-ओ-सैद-ओ-दग़ा हम हुए कि तुम
तुम शाख़-ए-गुल से उड़ के गए शाख़-ए-गुल की सम्त
अपने नशेमनों से जुदा हम हुए कि तुम
उस्ताद सब्र-ओ-नुक्ता-शनास-ए-रज़ा थे तुम
लेकिन क़तील-ए-सब्र-ओ-रज़ा हम हुए कि तुम
सौ बार रास्ते में लुटा है जो कारवाँ
उस कारवाँ के राह-नुमा हम हुए कि तुम
पैकान-ए-नेज़ा-ओ-रसन-ओ-दार है गवाह
सर दे के सर-बुलंद-ए-वफ़ा हम हुए कि तुम
पैमान-ए-शौक़ किस ने निबाहा क़दम क़दम
और हक़्क़-ए-आशिक़ी से अदा हम हुए कि तुम
तुम भी निसार-ए-दोस्त थे हम भी निसार-ए-दोस्त
ख़ुद फ़ैसला करो कि फ़िदा हम हुए कि तुम
तुम भी जुलूस-ए-मौसम-ए-गुल में थे पेश पेश
आवारा मिस्ल-ए-बाद-ए-सबा हम हुए कि तुम
तुम लाख हम-सफ़र थे पर इंसाफ़ तो करो
यारो हलाक-ए-लग़्ज़िश-ए-पा हम हुए कि तुम
ग़ज़ल
ये कर्बला है नज़्र-ए-बला हम हुए कि तुम
रईस अमरोहवी