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ये काएनात तिरा मोजज़ा लगे है मुझे | शाही शायरी
ye kaenat tera moajaza lage hai mujhe

ग़ज़ल

ये काएनात तिरा मोजज़ा लगे है मुझे

शहज़ाद रज़ा लम्स

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ये काएनात तिरा मोजज़ा लगे है मुझे
ख़ुदा नहीं है मगर तू ख़ुदा लगे है मुझे

न अपने हाथ उठाओ न इल्तिमास करो
कभी किसी की बताओ दुआ लगे है मुझे

किसे ख़बर है कि कब चलती साँस रुक जाए
ये ज़िंदगी भी फ़रेब-ए-क़ज़ा लगे है मुझे

तिरे विसाल ने बेचैन कर दिया था बहुत
तिरा फ़िराक़ ही दिल की दवा लगे है मुझे

हर एक चीज़ की आँखों से ख़ून जारी है
तमाम ख़ल्क़-ए-ख़ुदा ग़म-ज़दा लगे है मुझे

ये ना-तवानी-ए-क़ल्ब-ओ-जिगर पे बार-ए-गराँ
गुज़िश्ता वक़्त का इक हादसा लगे है मुझे