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ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है | शाही शायरी
ye jo zindagi ki kitab hai ye kitab bhi kya kitab hai

ग़ज़ल

ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है

राजेश रेड्डी

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ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है
कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है कहीं जान-लेवा अज़ाब है

कहीं छाँव है कहीं धूप है कहीं और ही कोई रूप है
कई चेहरे इस में छुपे हुए इक अजीब सी ये नक़ाब है

कहीं खो दिया कहीं पा लिया कहीं रो लिया कहीं गा लिया
कहीं छीन लेती है हर ख़ुशी कहीं मेहरबाँ बे-हिसाब है

कहीं आँसुओं की है दास्ताँ कहीं मुस्कुराहटों का बयाँ
कहीं बरकतों की हैं बारिशें कहीं तिश्नगी बे-हिसाब है