EN اردو
ये जो काली घटा छाई हुई है | शाही शायरी
ye jo kali ghaTa chhai hui hai

ग़ज़ल

ये जो काली घटा छाई हुई है

सुदर्शन कुमार वुग्गल

;

ये जो काली घटा छाई हुई है
किसी की ज़ुल्फ़ लहराई हुई है

नज़र उन की भरी महफ़िल में आ कर
न-जाने किस से शर्माई हुई है

ग़ज़ब है दिलकशी हुस्न-ओ-अदा की
जवानी जोश पर आई हुई है

तुम्हारी याद भी आती नहीं अब
न जाने किस की बहकाई हुई है

हुजूम-ए-यास से तंग आ के 'रिफ़अत'
तमन्ना मेरी मुरझाई हुई है