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ये जहाँ ख़ूब है सब इस के नज़ारे अच्छे | शाही शायरी
ye jahan KHub hai sab is ke nazare achchhe

ग़ज़ल

ये जहाँ ख़ूब है सब इस के नज़ारे अच्छे

महताब हैदर नक़वी

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ये जहाँ ख़ूब है सब इस के नज़ारे अच्छे
उस से बढ़ कर हैं इसे चाहने वाले अच्छे

एक ही दौड़ में शामिल हों सभी लोग तो फिर
सारे अग़्यार भले हैं सभी अपने अच्छे

आज भी तेरी हिमायत है कि ऐ मौज-ए-बला
चश्म-ए-नमनाक भली ख़ून के धारे अच्छे

किस की तारीफ़ करें किस के क़सीदे लिक्खें
नफ़स-ए-मज़मून से बढ़ कर हैं हवाले अच्छे

इन दिनों आब-ओ-हवा-ए-दिल-ओ-जाँ बेहतर है
माह-रुख़ माह-जबीं माह के पारे अच्छे

ये तो इक कार-ए-ज़ियाँ है जो रहेगा जारी
हम से आएँगे सुख़न-वर अभी अच्छे अच्छे