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ये दिल कहता है कोई आ रहा है | शाही शायरी
ye dil kahta hai koi aa raha hai

ग़ज़ल

ये दिल कहता है कोई आ रहा है

अख़्तर अमान

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ये दिल कहता है कोई आ रहा है
नज़र कहती है वो बहला रहा है

हर इक के दिल पे करता है हुकूमत
वो अपनी सल्तनत फैला रहा है

किसी की दस्तरस में है मगर वो
कभी आ कर हमें मिलता रहा है

कभी देता है दिल को ज़ख़्म गहरे
कभी लगता है वो सहला रहा है

ख़बर इक उस के आने की सुनी थी
दिया घर रात भर जलता रहा है

कहेंगे लोग मेरे बाद सारे
वो जैसा भी रहा अच्छा रहा है

कहाँ पर आ के 'अख़्तर' रुक गए हो
चलो आओ ज़माना जा रहा है