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ये धूप छाँव के असरार क्या बताते हैं | शाही शायरी
ye dhup chhanw ke asrar kya batate hain

ग़ज़ल

ये धूप छाँव के असरार क्या बताते हैं

असअ'द बदायुनी

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ये धूप छाँव के असरार क्या बताते हैं
जो आँख हो तो उसी का पता बताते हैं

ये कौन लोग हैं जो सारे कम अय्यारों को
कभी चराग़ कभी आईना बताते हैं

कभी वो शख़्स इक अदना ग़ुलाम था मेरा
रफ़ीक़ अब जिसे अपना ख़ुदा बताते हैं

बहुत से लोगों को मैं भी ग़लत समझता हूँ
बहुत से लोग मुझे भी बुरा बताते हैं

वो कितने छोटे हैं अंदाज़ा ख़ुद लगा लीजे
जो अपने आप को सब से बड़ा बताते हैं