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ये दार-ओ-रसन ज़ेब-ए-गुलू कौन करेगा | शाही शायरी
ye dar-o-rasan zeb-e-gulu kaun karega

ग़ज़ल

ये दार-ओ-रसन ज़ेब-ए-गुलू कौन करेगा

सय्यद अमीन अशरफ़

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ये दार-ओ-रसन ज़ेब-ए-गुलू कौन करेगा
जान-ओ-जिगर-ओ-दिल को लहू कौन करेगा

तकबीर सर-ए-रेग-ए-रवाँ कौन कहेगा
बहता हुआ दरिया है वुज़ू कौन करेगा

ले काम मोहब्बत से कि ये फ़ातेह-ए-कुल है
बे-मा'रका तसख़ीर-अदू कौन करेगा

ये क़हत-ए-दमिशक़ और मुदारात-ए-मुहब्बत
बर-सब्ज़ा-ए-ख़ाक-ओ-लब-ए-जू कौन करेगा

भीगी हुई किरनों में ब-जुज़ गुंचा-ए-मह-पोश
उस दस्त-ए-हिनाई में नुमू कौन करेगा

रख जाएगा तपते हुए होंटों पे गुलाबी
जलते हुए हाथों को सुबू कौन करेगा