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ये बुझे बुझे सितारे ये धुआँ धुआँ सवेरा | शाही शायरी
ye bujhe bujhe sitare ye dhuan dhuan sawera

ग़ज़ल

ये बुझे बुझे सितारे ये धुआँ धुआँ सवेरा

शेर अफ़ज़ल जाफ़री

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ये बुझे बुझे सितारे ये धुआँ धुआँ सवेरा
कहीं आबरू को डस ले न ये बावला अँधेरा

तिरी नाग नाग ज़ुल्फ़ें कहीं राम हो न जाएँ
कि उठा है बीन ले के ज़र-ओ-माल का सपेरा

मिरे शीशमों की छाँव में हैं धूप के ठिकाने
मिरी नद्दियों की लहरों में है आग का बसेरा

वहीं मैं ने आरज़ूओं के हसीं दिए जलाए
कि जहाँ शराब पी कर मुझे आँधियों ने घेरा

ऐ नसीम-ज़ाद झोंकों की हसीं हसीं कुलेलो!
ज़रा झंग रंग टीलों की तरफ़ भी एक फेरा