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ये भी नहीं बीमार न थे | शाही शायरी
ye bhi nahin bimar na the

ग़ज़ल

ये भी नहीं बीमार न थे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

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ये भी नहीं बीमार न थे
इतने जुनूँ-आसार न थे

लोगों का क्या ज़िक्र करें
हम भी कम अय्यार न थे

घर में और बहुत कुछ था
सिर्फ़ दर-ओ-दीवार न थे

तेरी ख़बर मिल जाती थी
शहर में जब अख़बार न थे

पहले भी सब बिकता था
ख़्वाबों के बाज़ार न थे

सब पर हँसना शेवा था
जब तक ख़ुद उस पार न थे

मौत की बातें प्यारी थीं
मरने को तय्यार न थे