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यक़ीं को दार से हासिल किया है | शाही शायरी
yaqin ko dar se hasil kiya hai

ग़ज़ल

यक़ीं को दार से हासिल किया है

नाज़िम नक़वी

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यक़ीं को दार से हासिल किया है
अक़ीदा प्यार से हासिल किया है

तिरे इक़रार पर शक था तभी तो
तुझे इंकार से हासिल किया है

उसे तलवार ही जीने न देगी
जिसे तलवार से हासिल किया है

इलाज-ए-ज़िंदगी इस बार हम ने
किसी बीमार से हासिल किया है

चुकानी होगी क़ीमत उस की 'नाज़िम'
जिसे बाज़ार से हासिल किया है