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यहाँ वहाँ कुछ लफ़्ज़ हैं मेरे नज़्में ग़ज़लें तेरी हैं | शाही शायरी
yahan wahan kuchh lafz hain mere nazMein ghazlen teri hain

ग़ज़ल

यहाँ वहाँ कुछ लफ़्ज़ हैं मेरे नज़्में ग़ज़लें तेरी हैं

सलीम मुहीउद्दीन

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यहाँ वहाँ कुछ लफ़्ज़ हैं मेरे नज़्में ग़ज़लें तेरी हैं
रंग धनक ये महका बादल सब तस्वीरें तेरी हैं

तन्हा रहूँ या भीड़ से गुज़रूँ तन्हा मैं कब होता हूँ
यूँ लगता है जैसे मुसलसल मुझ पे निगाहें तेरी हैं

तन्हा साहिल ख़्वाब घरौंदा आस जज़ीरा मेरा है
नीला बादल सात समुंदर पाँच ज़मीनें तेरी हैं

हुस्न-ए-जानाँ इश्क़ का जादू रक़्स-ओ-मस्ती दर्द की लै
इस महफ़िल की जलती बुझती सारी शामें तेरी हैं

दो हिस्सों में बटी है कैसे ये दुनिया यूँ जाना है
ख़्वाब हैं जितने सब मेरे हैं सब ताबीरें तेरी हैं