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यहाँ के रंग बड़े दिल-पज़ीर हुए हैं | शाही शायरी
yahan ke rang baDe dil-pazir hue hain

ग़ज़ल

यहाँ के रंग बड़े दिल-पज़ीर हुए हैं

ऐन ताबिश

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यहाँ के रंग बड़े दिल-पज़ीर हुए हैं
दयार-ए-इश्क़ के हाकिम फ़क़ीर होते हैं

हर एक दिल में तो ये बर्छियाँ उतरती नहीं
कोई कोई तो नज़र के असीर होते हैं

हुजूम-ए-बुल-हवसी के घने अंधेरों में
कुछ ऐसे ग़म भी हैं जो दस्त-गीर होते हैं

हर ऐसे-वैसे से क़ुफ़्ल-ए-क़फ़स नहीं खुलता
इस इम्तिहाँ के लिए कुछ हक़ीर होते हैं

तुम्हारे शहर में किस को है जान देने का शौक़
मगर वहाँ भी जो साहब-ज़मीर होते हैं