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यार को हम ने जा बजा देखा | शाही शायरी
yar ko humne ja baja dekha

ग़ज़ल

यार को हम ने जा बजा देखा

नियाज़ बरेलवी

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यार को हम ने जा बजा देखा
कहीं ज़ाहिर कहीं छुपा देखा

कहीं मुमकिन हुआ कहीं वाजिब
कहीं फ़ानी कहीं बक़ा देखा

दीद अपने की थी उसे ख़्वाहिश
आप को हर तरह बना देखा

सूरत-ए-गुल में खिल-खिला के हँसा
शक्ल-ए-बुलबुल में चहचहा देखा

शम्अ' हो कर के और परवाना
आप को आप में जला देखा

कर के दा'वा कहीं अनल-हक़ का
बर-सर-ए-दार वो खिंचा देखा

था वो बरतर शुमा-ओ-मा से नियाज़
फिर वही अब शुमा-ओ-मा देखा

कहीं है बादशाह-ए-तख़्त-नशीं
कहीं कासा लिए गदा देखा

कहीं आबिद बना कहीं ज़ाहिद
कहीं रिंदों का पेशवा देखा

कहीं वो दर लिबास-ए-माशूक़ाँ
बर-सर-ए-नाज़ और अदा देखा

कहीं आशिक़ 'नियाज़' की सूरत
सीना-ए-बरियां-ओ-दिल-जला देखा