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यादें चलें ख़याल चला अश्क-ए-तर चले | शाही शायरी
yaaden chalen KHayal chala ashk-e-tar chale

ग़ज़ल

यादें चलें ख़याल चला अश्क-ए-तर चले

होश तिर्मिज़ी

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यादें चलें ख़याल चला अश्क-ए-तर चले
ले कर पयाम-ए-शौक़ कई नामा-बर चले

दिल को सँभालते रहे हर हादसे ये हम
अब क्या करें कि ख़ुद तिरे गेसू बिखर चले

हर गाम पर शिकस्त ने यूँ हौसला दिया
जिस तरह साथ साथ कोई हम-सफ़र चले

शौक़-ए-तलब न हो कोई बाँग-ए-जरस तो हो
आख़िर कोई चले तो किस उम्मीद पर चले

अब क्या करोगे सैर-ए-समन-ए-ज़ार-आरज़ू
रुत जा चुकी चढ़े हुए दरिया उतर चले

राहों में 'होश' संग बरसते हैं हर तरफ़
ले कर ये कारवान-ए-तमन्ना किधर चले