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याद उस की कहाँ भुला दी है | शाही शायरी
yaad uski kahan bhula di hai

ग़ज़ल

याद उस की कहाँ भुला दी है

जावेद कमाल रामपुरी

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याद उस की कहाँ भुला दी है
हम ने आवाज़ बारहा दी है

लौ सी फिर दे उठे हैं ज़ख़्म-ए-जिगर
फिर किसी ने मुझे सदा दी है

देने वाले ने तेरा ग़म दे कर
हाए कितनी बड़ी सज़ा दी है

अब तो आ जाओ रस्म-ए-दुनिया की
मैं ने दीवार भी गिरा दी है

आओ आओ क़रीब से देखो
ज़िंदगी आँसुओं की वादी है