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या तो सूरज झूट है या फिर ये साया झूट है | शाही शायरी
ya to suraj jhuT hai ya phir ye saya jhuT hai

ग़ज़ल

या तो सूरज झूट है या फिर ये साया झूट है

अख्तर शुमार

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या तो सूरज झूट है या फिर ये साया झूट है
आँख तो इस पर भी हैराँ है कि क्या क्या झूट है

मुद्दतों में आज दिल ने फ़ैसला आख़िर दिया
ख़ूब-सूरत ही सही लेकिन ये दुनिया झूट है

ख़ून में शामिल अछूती ख़ुशबुओं के साथ साथ
क्यूँ कहूँ मुझ में जो बहता है वो दरिया झूट है

ज़िंदगी के बारे इतना ही कहा सच जानिए
दश्त में भटका हुआ जैसे बगूला झूट है