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वो यूँ खो के मुझे पाया करेंगे | शाही शायरी
wo yun kho ke mujhe paya karenge

ग़ज़ल

वो यूँ खो के मुझे पाया करेंगे

शकील बदायुनी

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वो यूँ खो के मुझे पाया करेंगे
मिरा अफ़्साना दोहराया करेंगे

सितम अपने जो याद आया करेंगे
तो दिल ही दिल में पछताया करेंगे

ग़ुरूर-ए-हुस्न को बातिल समझ कर
सरापा इश्क़ बन जाया करेंगे

न होगी ताब-ए-ज़ब्त-ए-ग़म जब उन को
यक़ीनन अश्क भर लाया करेंगे

क़यामत होंगी नाज़ुक दिल की आहें
हर इक ज़र्रे को तड़पाया करेंगे

फ़लक मातम करेगा बे-कसी पर
मह-ओ-अंजुम तरस खाया करेंगे

मुझे हर गाम पर ठुकराने वाले
मुझी पर नाज़ फ़रमाया करें

न होगी जब सुकूँ की कोई सूरत
कुछ अपने दिल को समझाया करेंगे

हर इक तदबीर जब नाकाम होगी
तो मुझ को रू-ब-रू पाया करेंगे

निगाहों से मिला कर वो निगाहें
यकायक रुख़ बदल जाया करेंगे

वही नाज़-ओ-अदा की शक्ल होगी
इसी सूरत से शरमाया करेंगे

मैं कहता ही रहूँगा क़िस्सा-ए-ग़म
वो सुनते सुनते सो जाया करेंगे

मगर जब होगा आलम आलम-ए-ख़्वाब
न पा कर मुझ को घबराया करेंगे

'शकील' अपने लिए लम्हात-ए-फ़ुर्सत
पयाम-ए-नौ-ब-नौ लाया करेंगे