वो तो गया ये दीदा-ए-ख़ूँ-बार देखिए
दामन पे रंग-ए-पैरहन-ए-यार देखिए
दिखला के वो तो ले भी गया शोख़ी-ए-ख़िराम
अब तक हैं रक़्स में दर ओ दीवार देखिए
उक्ता के हम ने तोड़ी थी ज़ंजीर-ए-नाम-ओ-नंग
अब तक फ़ज़ा में है वही झंकार देखिए
सीने में छुप गया है तुलू-ए-सहर के साथ
अब शाख़-ए-दिल पे वो गुल-ए-रुख़्सार देखिए
बर्क़-ए-तपीदा बाद-ए-सबा शोला और हम
हैं कैसे कैसे उस के गिरफ़्तार देखिए
पहले भी तेज़-रौ थे पर उस दिल-नशीं के साथ
ये चश्म-ए-नम ये मस्ती-ए-रफ़्तार देखिए
'मजरूह' के लबों से ये ख़ुश्बू न जा सकी
बख़्शी जो उस ने दौलत-ए-बेदार देखिए
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ग़ज़ल
वो तो गया ये दीदा-ए-ख़ूँ-बार देखिए
मजरूह सुल्तानपुरी