EN اردو
वो शख़्स जिस ने ख़ुद अपना लहू पिया होगा | शाही शायरी
wo shaKHs jis ne KHud apna lahu piya hoga

ग़ज़ल

वो शख़्स जिस ने ख़ुद अपना लहू पिया होगा

अब्दुर्रहीम नश्तर

;

वो शख़्स जिस ने ख़ुद अपना लहू पिया होगा
जिया तो होगा मगर कस तरह जिया होगा

तुम्हारे शहर में आने की जिस को हसरत थी
तुम्हारे शहर में आ कर वो रो पड़ा होगा

किसी की याद की आहट सी है दर-ए-दिल पर
किसी ने आज मिरा नाम ले लिया होगा

वो अजनबी तिरी बाँहों में जो रहा शब भर
किसे ख़बर कि वो दिन भर कहाँ रहा होगा

तुम्हारे सेहन-ए-चमन में खिला हुआ ग़ुंचा
किसे ख़बर मिरी क़िस्मत पे हँस रहा होगा