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वो राहबर तो नहीं था इआदा क्या करता | शाही शायरी
wo rahbar to nahin tha iada kya karta

ग़ज़ल

वो राहबर तो नहीं था इआदा क्या करता

याक़ूब आरिफ़

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वो राहबर तो नहीं था इआदा क्या करता
बना के राह में वो कोई जादा क्या करता

नहा रहा हो उजालों के जो समुंदर में
वो ले के ज़ुल्मत-ए-शब का लबादा क्या करता

हर एक शख़्स जहाँ मस्लहत से मिलता हो
वहाँ किसी से कोई इस्तिफ़ादा क्या करता

न जिस में रंग न ख़ाका न कोई अक्स-ए-जमाल
बना के ऐसी मैं तस्वीर-ए-सादा क्या करता

महाज़-ए-जंग में वो अपने फ़र्ज़ की ख़ातिर
न देता जान तो आख़िर पियादा क्या करता

जहाँ पे होता हो इंसानियत का ख़ूँ 'आरिफ़'
मैं ऐसी दुनिया में रह कर ज़ियादा क्या करता