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वो क्या कुछ न करने वाले थे | शाही शायरी
wo kya kuchh na karne wale the

ग़ज़ल

वो क्या कुछ न करने वाले थे

जौन एलिया

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वो क्या कुछ न करने वाले थे
बस कोई दम में मरने वाले थे

थे गिले और गर्द-ए-बाद की शाम
और हम सब बिखरने वाले थे

वो जो आता तो उस की ख़ुश्बू में
आज हम रंग भरने वाले थे

सिर्फ़ अफ़्सोस है ये तंज़ नहीं
तुम न सँवरे सँवरने वाले थे

यूँ तो मरना है एक बार मगर
हम कई बार मरने वाले थे