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वो जो वीरान फिरा करता है | शाही शायरी
wo jo viran phira karta hai

ग़ज़ल

वो जो वीरान फिरा करता है

वकील अख़्तर

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वो जो वीरान फिरा करता है
उस के सर में कोई सहरा होगा

तुझ से दिल तेरे परस्तारों का
टूटते टूटते टूटा होगा

झुक के जो आप से मिलता होगा
उस का क़द आप से ऊँचा होगा

वो जो मरने पे तुला है 'अख़्तर'
उस ने जी कर भी तो देखा होगा