EN اردو
वो जानता है उस की दलीलों में दम नहीं | शाही शायरी
wo jaanta hai uski dalilon mein dam nahin

ग़ज़ल

वो जानता है उस की दलीलों में दम नहीं

अक़ील नोमानी

;

वो जानता है उस की दलीलों में दम नहीं
फिर भी मुबाहिसों का उसे शौक़ कम नहीं

पूछो ज़रा ये कौन सी दुनिया से आए हैं
कुछ लोग कह रहे हैं हमें कोई ग़म नहीं

किस किस के एहतिराम में सर को झुकाऊँ मैं
मेरे अलावा कौन यहाँ मोहतरम नहीं

मिलता है जिन से राह-नवर्दों को हौसला
मेरे लिए वो लोग भी मंज़िल से कम नहीं

हम कारोबार-ए-दिल को कहें किस तरह ग़लत
होंगे बहुत से लोग ख़सारे में हम नहीं