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वो हैरतों की मुकम्मल किताब लिख देना | शाही शायरी
wo hairaton ki mukammal kitab likh dena

ग़ज़ल

वो हैरतों की मुकम्मल किताब लिख देना

क़मर संभली

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वो हैरतों की मुकम्मल किताब लिख देना
सवाल करने से पहले जवाब लिख देना

शिकस्त-ओ-रेख़्त का पैहम अज़ाब लिख देना
वो उस का जागती आँखों में ख़्वाब लिख देना

अजीब तरह बताना हयात का मफ़्हूम
वो उँगलियों से हवा पर हबाब लिख देना

हमारे घर के चराग़ों का इम्तिहाँ ही सही
तुम आँधियों के मुसलसल अज़ाब लिख देना

समुंदरों की भी वुसअ'त जो प्यास से कम हो
हमारे ख़ून-ए-जिगर को शराब लिख देना

अगर नहीं शजर-ए-साया-दार रस्तों में
सरों पे जलने हुए आफ़्ताब लिख देना

'क़मर' अजीब है उस्लूब-ए-ख़ामुशी उस का
बस इक निगाह में दिल की किताब लिख देना