वो एक नज़र में मुझे पहचान गया है
जो बीती है दिल पर मिरे सब जान गया है
रहने लगा दिल उस के तसव्वुर से गुरेज़ाँ
वहशी है मगर मेरा कहा मान गया है
था साथ निभाने का यक़ीं उस की नज़र में
महफ़िल से मिरी उठ के जो अंजान गया है
औरों पर असर क्या हुआ उस होश-रुबा का
बस इतनी ख़बर है मिरा ईमान गया है
चेहरे पे मिरे दर्द की परछाईं जो देखी
बेदर्द मिरे घर से परेशान गया है
इस भीड़ में 'सरवत' नज़र आने लगी तन्हा
किस कूचे में तेरा दिल-ए-नादान गया है

ग़ज़ल
वो एक नज़र में मुझे पहचान गया है
नूर जहाँ सरवत