वो दिल में रहते हैं दिल का निशाँ नहीं मा'लूम
मकीन ढूँड रहा हूँ मकाँ नहीं मा'लूम
सुकून पाने लगा हूँ ग़म-ए-मोहब्बत में
कहाँ गईं मिरी बे-ताबियाँ नहीं मा'लूम
मसर्रतों का तो सतही मुताला है मगर
ग़म-ए-हयात की गहराइयाँ नहीं मा'लूम
फ़ुग़ाँ नसीब की वारफ़्तगी अरे तौबा
फ़ुग़ाँ नसीब को वज्ह-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मा'लूम
चमन की फ़िक्र भी कर आशियाँ की फ़िक्र के साथ
किधर को टूट पड़ें बिजलियाँ नहीं मा'लूम
वफ़ा-शिआ'र तही-दस्त आए मंज़िल पर
कहाँ कहाँ पे लुटा कारवाँ नहीं मा'लूम
'शकील' आइना है दौर-ए-इंक़िलाब मगर
मआल-ए-क़िस्मत-ए-हिन्दोस्ताँ नहीं मा'लूम
ग़ज़ल
वो दिल में रहते हैं दिल का निशाँ नहीं मा'लूम
शकील बदायुनी