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वो दिल भी हमारा उड़ाए हुए हैं | शाही शायरी
wo dil bhi hamara uDae hue hain

ग़ज़ल

वो दिल भी हमारा उड़ाए हुए हैं

महेंद्र सिंह बर्क़

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वो दिल भी हमारा उड़ाए हुए हैं
निगाहें भी हम से चुराए हुए हैं

झुकाए हुए हैं ये नज़रें जो हम से
क़यामत के फ़ित्ने उठाए हुए हैं

गिला है मिरे शौक़-ए-जल्वा को उन से
वो जल्वे को पर्दा बनाए हुए हैं

मुझे आज यूँ उन की याद आ ही है
मिरे घर वो जैसे ख़ुद आए हुए हैं

ख़ुदाई पे है इस क़दर नाज़ जिन को
ख़ुदा वो हमारे बनाए हुए हैं

यक़ीं ही नहीं आ रहा 'बर्क़' मुझ को
मिरे घर में वो आज आए हुए हैं