वो चिलमन से बिजली गिराना तुम्हारा
मुझे याद है मुस्कुराना तुम्हारा
वो जाना पलट कर न आना तुम्हारा
न भूलेगा ये दिल बहाना तुम्हारा
अयाँ हो गया राज़-ए-दिल अहल-ए-दिल पर
वो शरमा के नज़रें झुकाना तुम्हारा
बना दो कि चाहे मिटा दो किसी को
ख़ुदाई तुम्हारी ज़माना तुम्हारा
कमाँ से निकल जो मिरे दिल में आया
वो तीर-ए-नज़र का निशाना तुम्हारा
कलीसा में दैर-ओ-हरम में भी ढूँढा
न पाया कहीं भी ठिकाना तुम्हारा
यक़ीनन तुम्हें याद आता तो होगा
वो 'सागर' वो आशिक़ दीवाना तुम्हारा

ग़ज़ल
वो चिलमन से बिजली गिराना तुम्हारा
रूप साग़र