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वो चीर के आकाश ज़मीं पर उतर आया | शाही शायरी
wo chir ke aakash zamin par utar aaya

ग़ज़ल

वो चीर के आकाश ज़मीं पर उतर आया

सादिक़

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वो चीर के आकाश ज़मीं पर उतर आया
जलता हुआ सूरज मिरी आँखों में दर आया

लहरों ने कई बार मिरे दर पे दी दस्तक
फिर साथ मुझे लेने समुंदर इधर आया

वो ज़ीस्त के उस पार की थाह लेने गया था
पर लौट के अब तक न मिरा हम-सफ़र आया

फ़ुर्सत हो तो ये जिस्म भी मिट्टी में दबा दो
लो फिर मैं ज़माँ और मकाँ से इधर आया