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वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है | शाही शायरी
wo bewafa hai hamesha hi dil dukhata hai

ग़ज़ल

वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है

शहरयार

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वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है
मगर हमें तो वही एक शख़्स भाता है

न ख़ुश-गुमान हो इस पर तू ऐ दिल-ए-सादा
सभी को देख के वो शोख़ मुस्कुराता है

जगह जो दिल में नहीं है मिरे लिए न सही
मगर ये क्या कि भरी बज़्म से उठाता है

तिरे करम की यही यादगार बाक़ी है
ये एक दाग़ जो इस दिल में जगमगाता है

अजीब चीज़ है ये वक़्त जिस को कहते हैं
कि आने पाता नहीं और बीत जाता है