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वो अंजुमन में रात अजब शान से गए | शाही शायरी
wo anjuman mein raat ajab shan se gae

ग़ज़ल

वो अंजुमन में रात अजब शान से गए

सईद राही

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वो अंजुमन में रात अजब शान से गए
ईमान चीज़ क्या थी कई जान से गए

मैं तो गया हुआ था हज़ारों नक़ाब में
लेकिन अकेला देख के पहचान से गए

वो शम्अ बन के ख़ुद ही अकेले जला किया
परवाने कल की रात परेशान से गए

आया तिरा सलाम न आया है ख़त कोई
हम आख़िरी सफ़र के भी सामान से गए

'राही' जिसे ख़ुदा भी न समझा सका कभी
बैठे-बिठाए देख लो अब मान से गए