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वो अक्स-ए-दिल-ए-आश्ना छोड़ आए | शाही शायरी
wo aks-e-dil-e-ashna chhoD aae

ग़ज़ल

वो अक्स-ए-दिल-ए-आश्ना छोड़ आए

फ़राज़ सुल्तानपूरी

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वो अक्स-ए-दिल-ए-आश्ना छोड़ आए
कहीं भी जो नक़्श-ए-वफ़ा छोड़ आए

जहाँ अहल-ए-ग़म नक़्श-ए-पा छोड़ आए
दिलों के लिए रहनुमा छोड़ आए

उजाला दिलों में न जब कर सके हम
तमन्ना का जलता दिया छोड़ आए

जो थे कुश्ता-ए-दर्द उन के लिए हम
नहीं कुछ तो दिल की दुआ छोड़ आए

'फ़राज़' इस तरह ज़िंदगी है गुज़ारी
कि गोया कोई हादसा छोड़ आए