वो अगर हम-ख़याल हो जाएँ
ख़त्म सारे मलाल हो जाएँ
वो हों आमादा-ए-जवाब अगर
हम सरापा सवाल हो जाएँ
शहर वालों का है ख़ुदा हाफ़िज़
चोर जब कोतवाल हो जाएँ
है जुदाई ख़ुदा की इक ने'मत
क़ुर्बतें जब वबाल हो जाएँ
हाथ से आस का असा न गिरे
हौसले जब निढाल हो जाएँ
हो अगर आप की निगाह-ए-करम
बे-हुनर बा-कमाल हो जाएँ
आओ निकलें अना के ख़ोल से अब
राब्ते फिर बहाल हो जाएँ
हौसला हार दूँ 'जलाल' अगर
काम सारे मुहाल हो जाएँ

ग़ज़ल
वो अगर हम-ख़याल हो जाएँ
क़ासिम जलाल