EN اردو
वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब तो दे | शाही शायरी
wo aa ke KHwab mein taskin-e-iztirab to de

ग़ज़ल

वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब तो दे

मिर्ज़ा ग़ालिब

;

वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब तो दे
वले मुझे तपिश-ए-दिल मजाल-ए-ख़्वाब तो दे

in my dreams, she would appear, perhaps, to give respite
but first, my heartache should allow me to sleep at night

करे है क़त्ल लगावट में तेरा रो देना
तिरी तरह कोई तेग़-ए-निगह को आब तो दे

your weeping at my teasing you, stabs me thru the heart
none other can, save you, such edge, to dagger eyes impart

दिखा के जुम्बिश-ए-लब ही तमाम कर हम को
न दे जो बोसा तो मुँह से कहीं जवाब तो दे

with just the sight of moving lips, kill me, let me die
if you don't kiss me with your lips, do at least reply

पिला दे ओक से साक़ी जो हम से नफ़रत है
पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे

if you despise me pour into my cupped palms, it is fine
give me not a glass but then, at least do give me wine

'असद' ख़ुशी से मिरे हाथ पाँव फूल गए
कहा जो उस ने ज़रा मेरे पाँव दाब तो दे

with joyous rapture all my limbs, were rendered immobile
when she said to me "do come, and press my feet awhile

ये कौन कहवे है आबाद कर हमें लेकिन
कभी ज़माना मुराद-ए-दिल-ए-ख़राब तो दे