वस्ल की बात और ही कुछ थी
उन दिनों रात और ही कुछ थी
पहली पहली नज़र के अफ़्साने
वो मुलाक़ात और ही कुछ थी
आप आए थे ज़िंदगी मेरी
रात की रात और ही कुछ थी
दिल ने कुछ और ही लिया मतलब
आप की बात और ही कुछ थी
'सैफ़' पी कर भी तिश्नगी न गई
अब के बरसात और ही कुछ थी
ग़ज़ल
वस्ल की बात और ही कुछ थी
सैफ़ुद्दीन सैफ़