वक़्त से पहले हुई शाम गिला किस से करूँ
रह गए कितने मिरे काम गिला किस से करूँ
अपनी नाकाम तमन्ना का सबब मैं तो न थी
आ गया मुझ पे ही इल्ज़ाम गिला किस से करूँ
दिल हिरासाँ है बहुत देख के अंजाम-ए-वफ़ा
ऐ मिरी हसरत-ए-नाकाम गिला किस से करूँ
अब तो वो मुझ से मिलाता ही नहीं अपनी नज़र
अब छलकते ही नहीं जाम गिला किस से करूँ
मेरे क़दमों ने मिरा साथ कहाँ छोड़ दिया
मंज़िल-ए-शौक़ थी दो-गाम गिला किस से करूँ
हिज्र का रोग भी रुस्वाई भी पाई 'रूमी'
पूछ मत इश्क़ का अंजाम गिला किस से करूँ
ग़ज़ल
वक़्त से पहले हुई शाम गिला किस से करूँ
रूमाना रूमी