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वफ़ादारियाँ सख़्त नादानियाँ हैं | शाही शायरी
wafadariyan saKHt nadaniyan hain

ग़ज़ल

वफ़ादारियाँ सख़्त नादानियाँ हैं

हफ़ीज़ जालंधरी

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वफ़ादारियाँ सख़्त नादानियाँ हैं
कि इन के नतीजे पशेमानियाँ हैं

पशेमानियाँ हैं गुनाहों पे लेकिन
बड़े ही मज़े की पशेमानियाँ हैं

मिरी ज़िंदगी पर तअज्जुब नहीं था
मिरी मौत पर उन को हैरानियाँ हैं

मोहब्बत करो और निबाहो तो पूछूँ
ये दुश्वारियाँ हैं कि आसानियाँ हैं

नदामत हुई हश्र में जिन के बदले
जवानी की दो चार नादानियाँ हैं

मिरा तजरबा है कि इस ज़िंदगी में
परेशानियाँ ही परेशानियाँ हैं