EN اردو
वाह फुसून-ए-आब-ओ-गिल | शाही शायरी
wah fusun-e-ab-o-gil

ग़ज़ल

वाह फुसून-ए-आब-ओ-गिल

निहाल सेवहारवी

;

वाह फुसून-ए-आब-ओ-गिल
दहर है इक रंगीं महफ़िल

रज़्म-कुनाँ रह-ए-तूफ़ाँ से
मिल ही जाएगा साहिल

किस की महफ़िल को देखें
हम तुम हैं ख़ुराक-ए-महफ़िल

जोश-ए-अमल की ख़ामी का
नाम जहाँ में है मुश्किल

सुर्ख़ न हो क्यूँ अश्क-ए-ग़म
ख़ून-ए-जिगर भी है शामिल

यूँ न फ़सुर्दा-ख़ातिर रह
ग़ुंचा-ओ-गुल की सूरत खिल

देख तिलिस्म-ए-फ़िक्र-ए-'निहाल'
सेहर-बयाँ शाइ'र से मिल