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उतरी शाम तो बरसा पानी या अल्लाह | शाही शायरी
utri sham to barsa pani ya allah

ग़ज़ल

उतरी शाम तो बरसा पानी या अल्लाह

अनवर ख़ान

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उतरी शाम तो बरसा पानी या अल्लाह
हम जैसों की यही कहानी या अल्लाह

क्यूँ हम पे इल्ज़ाम है मौला साज़िश का
कब थे हम दरिया तूफ़ानी या अल्लाह

सूरज की दहलीज़ पे आ कर ठहर गए
अँधेरों ने क्या है ठानी या अल्लाह

मन मंदिर में प्यार की कोई गूँज नहीं
भेज कोई मीरा दीवानी या अल्लाह

अपने लश्कर में जब सिर्फ़ बहत्तर थे
हम ने तब भी हार न मानी या अल्लाह