उतरी शाम तो बरसा पानी या अल्लाह
हम जैसों की यही कहानी या अल्लाह
क्यूँ हम पे इल्ज़ाम है मौला साज़िश का
कब थे हम दरिया तूफ़ानी या अल्लाह
सूरज की दहलीज़ पे आ कर ठहर गए
अँधेरों ने क्या है ठानी या अल्लाह
मन मंदिर में प्यार की कोई गूँज नहीं
भेज कोई मीरा दीवानी या अल्लाह
अपने लश्कर में जब सिर्फ़ बहत्तर थे
हम ने तब भी हार न मानी या अल्लाह
ग़ज़ल
उतरी शाम तो बरसा पानी या अल्लाह
अनवर ख़ान