उसे हम ने कभी देखा नहीं है
वो हम से दूर है ऐसा नहीं है
यक़ीनन सोचता होगा वो मुझ को
उसे मैं ने अभी सोचा नहीं है
जिधर जाता हूँ दुनिया टोकती है
इधर का रास्ता तेरा नहीं है
सफ़र आज़ाद होने के लिए है
मुझे मंज़िल का कुछ धोका नहीं है
मैं अपनी यात्रा पर जा रहा हूँ
मुझे अब लौट कर आना नहीं है
हुए आज़ाद जब जाना ये 'सानी'
मफ़र का कोई भी रस्ता नहीं है
ग़ज़ल
उसे हम ने कभी देखा नहीं है
महेंद्र कुमार सानी