उस ने फिर और क्या कहा होगा
राज़-ए-हस्ती बता चुका होगा
तुम जो चाहो तो जा मिलो उस से
वो अभी मोड़ पर खड़ा होगा
बे-ख़ुदी और बढ़ गई दिल की
जाने क्या याद आ गया होगा
मिल गईं जिस से आप की नज़रें
आज तक ख़्वाब देखता होगा
कोई अपनी हँसी के पर्दे में
दर्द दिल का छुपा रहा होगा
अजनबी शहर में चलो ढूँडें
कोई तो दर्द-आश्ना होगा
शाम-ए-ग़म में ये रौशनी कैसी
दिल का शो'ला भड़क उठा होगा
ग़ज़ल
उस ने फिर और क्या कहा होगा
शोला हस्पानवी