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उस ने जो दर्द का अम्बार लगाया हुआ है | शाही शायरी
usne jo dard ka ambar lagaya hua hai

ग़ज़ल

उस ने जो दर्द का अम्बार लगाया हुआ है

कृष्ण कुमार तूर

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उस ने जो दर्द का अम्बार लगाया हुआ है
हम ने भी दिल सर-ए-बाज़ार लगाया हुआ है

एक आफ़त की तरह हम ने अब इस सीने से
था लगाना जिसे सरकार लगाया हुआ है

प्यार की ताज़ा हवा आए कहाँ से हम ने
ख़ुद को इक सूरत-ए-दीवार लगाया हुआ है

क्या किसी बुत की मोहब्बत में गिरफ़्तार हुए
क्यूँ भला सीने से ज़ुन्नार लगाया हुआ है

एक लम्हे को भी मौजूद नहीं है राहत
घर में क्या हल्क़ा-ए-अग़्यार लगाया हुआ है

अपने से दूर भी रक्खा है बहुत तू ने हमें
एक तस्मा सा भी ऐ यार लगाया हुआ है

ताकि तफ़रीक़ दिलों में न रहे हरगिज़ 'तूर'
हम ने इस पार को उस पार लगाया हुआ है